मेरी ज़िम्मेदारियाँ मुझे मरने नहीं देंगी...! मेरी ज़िम्मेदारियाँ मुझे मरने नहीं देंगी...!
मगर कौन जाने ख्वाबों को मूंद कहीं एक सूर्य अस्त भी हुआ। मगर कौन जाने ख्वाबों को मूंद कहीं एक सूर्य अस्त भी हुआ।
बच्चों की उदासी पर, खुद आँसु बहाए वो हमारी माँ कहलाए... बच्चों की उदासी पर, खुद आँसु बहाए वो हमारी माँ कहलाए...
दुश्वार हो गया...। दुश्वार हो गया...।
कमल तेरी फिज़ूल कलम से...। कमल तेरी फिज़ूल कलम से...।
एक अधूरी उड़ान...। एक अधूरी उड़ान...।